अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस को श्रमिक दिवस, May Day, Labour Day, Workers Day के नाम से भी जाना जाता है। यह हर साल पूरे विश्व में 1 मई को मनाया जाता है। हर देश में श्रमिक मेहनत करते हैं और उद्योग धंधों, फैक्ट्रियों में काम करते हैं। उनके काम को सम्मान देने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। इसके साथ ही श्रमिकों की स्थिति को सुधारने का प्रयास भी किया जाता है। विश्व में 80 से अधिक देशों में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है। इस दिन श्रमिकों का अवकाश रहता है। ज्यादातर कंपनियों में इस दिन छुट्टी रहती है।
कब मनाते हैं मजदूर दिवस / अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस
इसे हर साल 1 मई को मनाया जाता है।
मजदूर दिवस की शुरुआत कैसे हुई? How Labour Day was started?
मजदूर दिवस की शुरुआत औद्योगिकरण के दौर से हुई थी। जब औद्योगिक क्रांति हुई तो सभी जगह कारखाने लगने शुरू हो गए मजदूरों को बड़ी मात्रा में कारखानों में नौकरी मिल गई, पर उन्हें बहुत अधिक काम करना पड़ता था। कई बार तो 15 घंटे तक उनसे काम लिया जाता था। पूंजीपति, फैक्ट्रियों के मालिक बहुत अधिक घंटे तक श्रमिकों से काम करवाते थे। उसके बदले उन्हें पैसे बहुत कम मिलते थे। पूंजीपति श्रमिकों का शोषण कर रहे थे। इसलिए अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस की उपयोगिता को पहचाना गया और इसकी शुरुआत की गई। मजदूर दिवस को मनाने का प्रमुख लक्ष्य श्रमिकों से संतुलित मात्रा में काम कराना है। उनको उत्पीड़न से बचाना है।
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International Workers’ Day 2019
1 मई 2019, बुधवार
मजदूर दिवस का इतिहास may day history/ Labour Day history
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई थी. अमेरिका में मजदूरों से बहुत अधिक काम लिया जाता था। उनका शोषण किया जा रहा था। इसलिए अमेरिका के मजदूर संघ ने यह निर्णय लिया कि 8 घंटे से अधिक काम नहीं किया जाएगा। मजदूर संगठन ने हड़ताल कर दी।
हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमार्केट में बम ब्लास्ट हुआ। पुलिस ने मजदूरों पर गोली चला दी जिसमें बहुत से मजदूर मारे गए और 100 से ज्यादा घायल हो गए। 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में यह घोषणा की गई कि हेमार्केट कांड में मारे गए निर्दोष मजदूरों की याद में 1 मई को “अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस” मनाया जाएगा। उस दिन श्रमिकों का अवकाश रहेगा।
भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत labour day in india
भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई 1923 को मद्रास में हुई थी। उस समय इसे “मद्रास दिवस” के रूप में मनाया जाता था। मजदूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेटयार ने इसकी शुरुआत की थी। मद्रास हाई कोर्ट के सामने सभी श्रमिकों ने बड़ा प्रदर्शन किया था और 1 मई को मजदूर दिवस (कामगार दिवस) के रूप में मनाने की घोषणा की थी।
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मजदूर दिवस मनाने का उद्देश्य Aim of celebrating Labour Day
- आज भी बहुत से सेक्टर्स में मजदूरों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। वे खतरनाक परिस्थितियों में काम कर रहे हैं। कई बार मजदूर अपनी जान को जोखिम में डालकर फैक्ट्रियों में खतरनाक स्थिति में काम करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस को मनाने का लक्ष्य है कि उनके जीवन में सुधार किया जाए।
- श्रमिकों का शोषण रोका जाए। उनसे एक निश्चित समय तक ही काम लिया जाए। उनके काम का उन्हें पूरा पारिश्रमिक इमानदारी से दिया जाए।
- श्रमिकों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए उन्हें मुफ्त घर, सस्ते ब्याज पर कर्ज, सस्ती शिक्षा, मुफ्त कपड़े, नौकरियां जैसी सुविधाएं प्रदान की जाये। श्रमिक वर्ग का उत्थान के लिए नई नई योजनाएं बनाई जाए।
मजदूर दिवस कैसे मनाते हैं? How to celebrate Labour Day
- इस दिन अखबार, टीवी, इंटरनेट, सोशल मीडिया पर मजदूर दिवस का प्रचार प्रसार किया जाता है।
- देश के नेता मजदूरों की स्थिति सुधारने के लिए योजनाएं बनाने की घोषणा करते हैं।
- इस दिन सभी श्रमिकों को अवकाश दिया जाता है। इस दिन वे विश्राम करते हैं।
- इसके साथ ही मजदूर संघ रैली निकालते हैं और प्रदर्शन करते हैं। श्रमिकों की स्थिति सुधारने के लिए सम्मेलन किए जाते हैं।
मजदूरों की स्थिति सुधारने के लिए बनाए गये प्रमुख नियम
बंधुआ मजदूरी उन्मूलन अधिनियम 1976
इस कानून के अनुसार किसी भी मजदूर को जबरन, उसकी इच्छा के विरुद्ध काम नहीं करवा सकते हैं। मजदूर पर किसी प्रकार का दबाव बनाना, उसे जान माल की धमकी देना या मारपीट करना इस कानून के दायरे में आता है।
बाल श्रम निषेध अधिनियम 1986
संविधान के अनुच्छेद 24 के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे को किसी फैक्ट्री, खदान में काम पर नहीं रखा जा सकता है।
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भारत में श्रमिकों से जुड़ी प्रमुख समस्याएं
- पुरुष महिला श्रमिकों को अलग-अलग वेतन देना। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम वेतन दिया जाना।
- काम के अधिक घंटे (8 से 12 घंटे)
- भारत में व्याप्त बंधुआ मजदूरी और बाल मजदूरी
श्रमिक दिवस का महत्व Importance of Labour Day
यदि हमारे जीवन से श्रमिकों को निकाल दिया जाए तो हमारे सभी काम रुक जाएंगे। अपना मकान बनाने के लिए हम सभी श्रमिकों का सहारा लेते हैं। इसके अलावा जो भोजन हम करते हैं उसे किसान खेतों मैं श्रम करके पैदा करता है। यदि किसान ही अनाज पैदा करना बंद कर दे तो हम सब क्या खाएंगे?
जो अच्छे वस्त्र पहनकर हम इतराते हैं वह कारखानों में श्रमिक बहुत मेहनत से बनाते हैं। जो जूते हम पहनते हैं उसे भी श्रमिक फैक्ट्रियों में बनाते हैं। इस तरह हमारा जीवन श्रमिकों से जुड़ा हुआ है। हम सभी का फर्ज बनता है कि श्रमिकों की स्थिति मे सुधार करें।
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