होली पर निबन्ध Essay on Holi in hindi
इस लेख में हम आपके लिए essay on holi in hindi पर एक निबंध प्रस्तुत करेंगे। होली हिंदुआ का प्रमुख त्यौहार है। इसे रंगो का त्यौहार भी कहते है। भारत में इसे हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है।
नोट: इस निबन्ध को कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9,10,11, 12 के विद्यार्थी अपने परीक्षा और होमवर्क के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
प्रस्तावना
होली का त्यौहार रंगों का त्योहार है। यह हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। हर साल होली आने पर लोग धूमधाम से इस त्योहार को मनाते हैं। एक दूसरे को रंग लगाते हैं। मिठाइयां और गुजिया एक दूसरे को खिलाते हैं। बच्चों को तो होली का त्योहार विशेष रूप से पसंद होता है, क्योंकि उन्हें ढेर सारी मस्ती करने को मिलती है।
होली का त्यौहार कब मनाते हैं?
होली का त्यौहार प्रति वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
2019 में होली का त्यौहार
20 मार्च बुधवार से 21 मार्च गुरुवार को मनाया गया।
होलिका दहन की पौराणिक कथा
विष्णु पुराण में इस कथा का उल्लेख मिलता है। हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर था। उसने ब्रह्मा जी की तपस्या कर यह वरदान लिया कि उसका वध ना ही कोई मनुष्य और ना ही कोई पशु कर सके। न उसे दिन में, न रात में मारा जा सके। उसका वध ना घर के अंदर हो, ना घर के बाहर हो।
कोई अस्त्र या शस्त्र भी उसका वध ना कर सके। यह वरदान मिलने के बाद हिरण्यकश्यप निरंकुश और अत्याचारी बन गया। वह सभी लोगों पर अत्याचार करने लगा। उसके राज्य में कई लोग भगवान विष्णु की पूजा करते थे, पर हिरण्यकश्यप चाहता था कि सब लोग उसकी पूजा करें। इसलिए उसने विष्णु की पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया। हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद एक महान विष्णु भक्त था।
हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद द्वारा विष्णु पूजा करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया। पर प्रहलाद भगवान विष्णु की पूजा करता रहा। इस बात से क्रुद्ध होकर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बुलाया और प्रहलाद को अग्नि में भस्म करने का आदेश दिया।
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होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में भी नहीं जल सकती। लेकिन जैसे ही होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठी वह जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद सुरक्षित रहा। इस बात से हिरण्यकश्यप बहुत क्रोधित हुआ।
उसने एक लोहे के खंभे को गर्म कराया और प्रहलाद से उस खंभे को गले लगाने को कहा। प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह का अवतार लिया। वे खंबे को चीरकर प्रकट हुए। उन्होंने हिरण्यकश्यप को महल की चौखट पर लाकर अपने नाखूनों से मार कर उसका वध कर दिया।
वो शाम (गोधूलि बेला) का समय था। उस समय न दिन था, और न रात। अंत में बुराई पर अच्छाई की विजय हुई। वहीं से होली का त्योहार शुरू हुआ। इस त्यौहार में अग्नि में गोबर के कंडे बुराइयों के प्रतीक के रूप में जलाये जाते हैं। इस त्यौहार से मनुष्य को यह संदेश मिलता है कि हमें अपनी बुराइयों को अग्नि में डालकर समाप्त कर देना चाहिए।
होली का त्यौहार कैसे मनाते हैं?
जिस दिन होली होती है उसके एक दिन पहले रात में होलिका जलाई जाती है। जिसमें लकड़ी के बड़े-बड़े तने जलाए जाते हैं। सुबह होने पर मोहल्ले, गाँव की स्त्रियां उसमें गोबर के कंडे और जौ की बालियाँ डालती हैं। हर घर में सुबह होली की पूजा होती है। कंडे में अग्नि जलाकर लोग उसमें जौ की बालियां डालते हैं और उसके चारों ओर फेरे लेते हैं।
उसके बाद रंगो वाली होली शुरू हो जाती है। बच्चे एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। अबीर, गुलाल लगाकर इस दिन दुश्मन को भी दोस्त बना लिया जाता है। “बुरा न मानो होली है” बोलकर सभी को रंग लगा दिया जाता है और इस दिन कोई बुरा भी नहीं मानता है।
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होली पर बनने वाली मिठाइयां
बच्चों को तो होली का पूरे साल इंतजार रहता है, क्योंकि उन्हें कई प्रकार की मिठाइयां खाने को मिलती है। हर घर में सूखी गुजिया, चाशनी वाली गुजिया, चंद्रकला, शकरपारे, रसगुल्ले जैसी अनेक मिठाइयां बनती हैं। कुछ मिठाइयां बाजार से भी लाई जाती हैं। बच्चों को गुजिया खाना बहुत ही पसंद होता है।
होली में बाजार में रौनक आ जाती है
दुकानदारों के लिए होली का त्यौहार तो बहुत महत्वपूर्ण होता है। उनकी बिक्री भी खूब होती है और वह मुनाफा भी कमाते हैं। होली आते ही बाजारों में तरह-तरह के रंग, गुलाल, पिचकारी, खिलौने, मिठाइयां और दूसरी चीजों की दुकानें सज जाती हैं। लोग अपने घरों के लिए टीवी, कूलर, फ्रिज जैसी वस्तुएं भी खरीदते हैं। होली के मौके पर बड़े ब्रांड भारी छूट भी देते हैं। लोग जमकर शॉपिंग करते हैं।
होली में नये कपड़े पहने जाते है
हमारे देश में होली पर लोग नये कपड़े पहनते हैं। कुछ लोग रेडीमेड कपड़े बाजार से खरीदते हैं, तो कुछ लोग दर्जी से कपड़े सिलाते हैं। घर की महिलाएं भी नई साड़ियां पहनती हैं। घर की अविवाहित लड़कियां नये सलवार सूट और दूसरे कपड़े बाजार से खरीदकर पहनती हैं।
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भारत में प्रसिद्ध होली
वृंदावन की होली– मथुरा के निकट वृंदावन की होली बहुत ही प्रसिद्ध है जहां पर भगवान श्री कृष्ण गोपियों के साथ वृंदावन में होली खेला करते थे। वृंदावन की होली देखने के लिए दूर-दूर से देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं।
बरसाने की होली – बरसाना में राधा का गाँव था। कहा जाता है कि श्री कृष्ण की मां यशोदा ने खेल-खेल में उन्हें राधा को रंग लगाने को कहा था। जिसके बाद श्री कृष्ण बरसाना (राधा के गांव) गए और गोपियों को रंग लगाने लगे, तो गोपियां भी खेल खेल में उन्हें पीटने लगी। वहीं से यह परंपरा बन गई। यहां पर लठ मार होली होने लगी, जिसमें स्त्रियां पुरुषों पर लाठी मारती हैं। पुरुष अपने को ढाल से बचाते हैं।
शांतिनिकेतन की होली– शांति निकेतन (कोलकाता) में होली के त्यौहार को “बसंत उत्सव” कहते हैं। इस दिन यहां के लोग गीत- संगीत पर नृत्य भी करते हैं।
उपसंहार
होली का त्यौहार हमें संदेश देता है कि अपनी बुराइयों को हमें समाप्त कर देना चाहिए और सिर्फ अच्छाइयों को अपनाना चाहिए। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। होली का त्यौहार संदेश देता है कि शक्तिशाली हो जाने पर हमें अहंकार नहीं करना चाहिए। किसी दूसरे पर अत्याचार नहीं करना चाहिए। दुश्मनों को भी दोस्त बना लेना चाहिए।
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