गर्मी की छुट्टियों पर निबंध Essay on Summer Vacation in hindi
Essay on Summer Vacation गर्मी की छुट्टियां मनाना सभी बच्चों को पसंद होता है। इस लेख में हम आपको “गर्मी की छुट्टियों पर निबंध” देंगे जो आप अपने स्कूल के कार्य के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
नोट: इस निबन्ध को कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10,11, 12 के विद्यार्थी अपने परीक्षाओं और होमवर्क के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
प्रस्तावना
मेरा नाम रमेश है। मैं आपको गर्मी की छुट्टियों पर निबंध प्रस्तुत करने जा रहा हूं। पिछले साल जैसे ही हमारा स्कूल खत्म होने वाला था मैं सोच रहा था कि कब छुट्टी हो और मुझे नाना नानी के पास शिमला जाने का मौका मिले। मेरे पिताजी अभी कानपुर में नौकरी करते हैं, जब दादा-दादी शिमला में रहते हैं। कानपुर में भीषण गर्मी होती है। यहां पर कोई रहना नहीं चाहता, पर मेरे पिताजी यहां नौकरी करते हैं। कुछ दिन बाद ही छुट्टियां हो गई और मैं पापा मम्मी और मेरी छोटी बहन रिंकी के साथ शिमला चला गया।
दादा दादी का प्यार
मेरे दादा दादी बहुत अच्छे हैं। वह मुझे और मेरी बहन रिंकी दोनों को बहुत प्यार करते हैं। दादी तो हमेशा फोन पर मुझसे बात करती हैं पर अब हम दोनों बच्चे उनके सामने थे। हमारे परिवार को देखकर दादी खुशी से फूली नहीं समा रही थी। दादी ने पहले तो हमारे गालों पर चुम्मी ली और प्यार से गले लगा लिया। दादा भी हम दोनों बच्चों से प्यार करने लगे। दादा जी, मम्मी पापा का हालचाल लेने लगे।
चाचा चाची से मुलाकात
हमारे आते ही मेरे छोटे चाचा मेरे चाचा और चाची आ गए और हमें देख कर बहुत खुश हुये। चाचा ने पिता जी के पैर छुए और यात्रा के बारे में पूछा। चाची मेरी माँ का हाल-चाल लेने लगी। फिर चाचा के बच्चे मनोज और सीमा भी आ गए और हमारे साथ खेलने लगे। मनोज अभी कक्षा 8 और सीमा कक्षा 6 में पढ़ रही है। शिमला के बिशप कॉटन स्कूल में पढ़ते हैं।
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दादी की मिठाईयां और अन्य पकवान
दोस्तों आप लोग तो जानते ही होंगे कि हर दादी अपने पोता पोती (नवाशो) को बहुत प्यार करती है। इसी तरह हमारी दादी भी थी। हम लोग के पहुंचते ही वह मिठाईयां बनाने में लग गई। सबसे पहले उन्होंने काले वाले रसगुल्ले (गुलाब जामुन) हम लोग के लिए बनाये। उसके बाद चासनी वाली गुजिया, लड्डू, शाही टोस्ट भी बनाया।
जब तक हम लोग शिमला में रहे हर दिन कुछ ना कुछ विशेष पकवान वह बनाती रहती थी। कभी खीर कभी सेवइयां। हम बच्चों के लिए उन्होंने कई बार मैगी नूडल्स और बर्गर भी बनाए थे।
क्रिकेट मैच
मैंने, मेरी छोटी बहन रिंकी और चाचा के बच्चे मनोज और सीमा ने फैसला किया कि खाली वक्त में क्रिकेट मैच खेलना चाहिए। उसके बाद हम लोगों ने घर के बाहर वाले मैदान में क्रिकेट मैच खेला जिसमें बड़ा आनंद आया। मनोज ने उस मैच में 50 रन पूरे किए जबकि मैं सिर्फ 30 रन बनाकर कैच आउट हो गया। रिंकी और सीमा ने 20- 20 रन बनाए। यह क्रिकेट मैच खेल कर बहुत आनंद आया।
फिल्म देखने का मजा लिया
मैं, मेरी छोटी बहन रिंकी और चाचा के बच्चे मनोज और सीमा दिन भर तो क्रिकेट, फुटबॉल, बैडमिंटन जैसे खेल खेलते और शाम को हम लोग फिल्म देखते थे। हम लोगों ने टीवी पर बहुत ही अच्छी अच्छी फिल्में देखी। इसके साथ ही कार्टून के शो भी देखे। मेरी छोटी बहन रिंकी को कार्टून देखना बहुत अच्छा लगता है।
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शिमला की ठंडी जलवायु
मुझे शिमला आकर छुट्टियां बिताना बहुत अच्छा लग रहा था। क्योंकि यहां पर तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस के आसपास था, जबकि कानपुर में हमारा पूरा परिवार गर्मी में परेशान हो रहा था। ऐसा मन कर रहा था कि हमेशा के लिए शिमला ही रुक जाए पर छुट्टी सिर्फ 1 महीने की मिली थी। उसके बाद पिताजी को नौकरी पर जाना था।
शिमला की खूबसूरती
यह बात तो आप लोग भी जानते होंगे कि शिमला बेहद खूबसूरत जगह है। इसे पहाड़ों की रानी भी कहा जाता है। यहां पर अभी गर्मियां चल रही थी इसलिए बर्फबारी नहीं थी, पर दूर-दूर पहाड़ों की चोटियों पर थोड़ी बर्फ देखी जा सकती थी। शिमला में देवदार चीड़ जैसे वृक्ष पाए जाते हैं जिनकी शाखाएं नीचे की ओर झुकी होती हैं। यहां की हवा काफी शुद्ध और साफ थी। चमकदार धूप निकली हुई थी।
शिमला के दर्शनीय स्थानों को देखा
अभी हमें शिमला आए हुए 7 दिन ही हुए थे। इतने में मेरा शिमला के दर्शनीय स्थानों को देखने का मन करने लगा। मेरी बात सुनकर पूरा परिवार शिमला घूमने के लिए तैयार हो गया। सबसे पहले हम लोग जाखू मंदिर देखने गए। यहां पर हनुमान जी की 108 फीट ऊंची विशाल मूर्ति है। उसके बाद शिमला स्टेट म्यूजियम देखने गए।
यहां पर पुरानी पेंटिंग हस्तकला का सामान और मूर्तियां मौजूद हैं। फिर हम शिमला की माल रोड गये। पापा ने मेरे लिए एक जैकेट भी खरीदी। चाचा ने मनोज और सीमा के लिए कपड़े खरीदे। रात होने पर हम लोगों ने एक रेस्टोरेंट में खाना खाया और घर चले आए।
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छुट्टियां हुई खत्म
एक महीने हम लोगों ने दादा दादी के घर बहुत मस्ती की। समय का पता ही नहीं चला। हमारी छुट्टियां खत्म हो गई। ना चाहते हुए भी हम लोगों ने अपना सामान पैक किया। अब हम लोगो को कानपुर लौटना था।
दादा दादी ने एक बार फिर से हम दोनों बच्चों को गले लगाया और बहुत सारा प्यार किया। आते वक्त मैंने देखा कि दादी की आंखों में आंसू थे। ट्रेन पकड़ कर हम लोग कानपुर आ गए और 1 जुलाई से स्कूल जाना शुरू कर दिया। दोस्तों इस तरह मेरी छुट्टियां खत्म हुई।
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