दहेज़ प्रथा पर निबंध Essay on dowry system in india in hindi
वर्तमान में हम 21वीं सदी में जी रहे हैं, पर आज भी भारत बहुत से मामलों में पिछड़ा हुआ है। दहेज प्रथा (dowry system) जहां पर एक मुख्य कुरीति है। भारत में जब किसी परिवार में लड़की का जन्म होता है तो उसका पिता दहेज को लेकर चिंतित होता है, क्योंकि यहां पर आमतौर पर लड़की के विवाह होने पर उसके पिता को दहेज में 10 से 20 लाख रुपए खर्च करने होते हैं।
दहेज़ प्रथा क्या है? what is dowry system
दहेज की प्रथा को समझने के लिए भारत का इतिहास पढ़ना होगा। मनुस्मृति में मनु ने दहेज प्रथा के बारे में लिखा है। विवाह के समय लड़की के माता-पिता उसे कुछ उपहार अपनी इच्छा से देते थे जिसे दहेज कहते थे। धीरे-धीरे यह प्रथा आगे बढ़ती गई और अब ऐसा समय आ गया है कि लड़का पक्ष दहेज को अपना अधिकार मानते हैं। वर्तमान में लड़के वाले शादी में नगदी मोटरसाइकिल कार घर के सभी उपकरण जैसे रजाई गद्दा बेड टीवी फ्रिज कूलर सोने के गहने दहेज के रूप में मांगते हैं।
दहेज प्रथा के कारण causes of dowry system in india
योग्य लड़का पाने के लालच में दहेज देते है
भारत में लड़कियों के मां-बाप अक्सर अपनी बेटियों की शादी को लेकर चिंतित रहते हैं। वह चाहते हैं कि उनकी बेटियों के लिए सबसे अच्छा वर मिले। इसलिए वे नौकरी वाले और उच्च अधिकारी लड़कों को पसंद करते हैं इसलिए वह दहेज देने को भी तैयार हो जाते हैं।
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लड़की की सुंदरता में कमी होना
लड़की की सुंदरता में कमी होना भी दहेज का एक बड़ा कारण है। हर लड़कियां खूबसूरत नहीं होती। कुछ काली होती हैं। ऐसे में कोई भी लड़का उनसे शादी नहीं करना चाहता। लड़की के घर वाले लड़के वालों को दहेज का लालच देते हैं और शादी करने के लिए तैयार करते हैं।
लड़के की सरकारी नौकरी लगना
भारतीय समाज में जब भी किसी लड़के की सरकारी नौकरी लग जाती है तो वह रिश्तेदारों के बीच ध्रुव तारे की तरह चमकता है। ऐसे में बहुत से लड़की वाले उस लड़के से अपनी बेटी की शादी करना चाहते हैं जिसके लिए वह दहेज का लालच देते हैं। लड़के के घरवाले भी मौका पाकर ऐसे लड़की वालों का चुनाव करते हैं जो सबसे ज्यादा दहेज दे रहा हो। इस तरह दहेज प्रथा को बढ़ावा मिलता है।
लड़की का विकलांग होना या कोई और शारीरिक कमी होना
कई बार लड़की के अंदर किसी प्रकार का शारीरिक दोष या विकलांग होने पर उससे कोई लड़का विवाह करने को तैयार नहीं होता है। ऐसे में लड़की के घरवाले दहेज के लालच देकर शादी करते हैं।
दहेज प्रथा के दुष्प्रभाव dowry system effects in India
ससुराल में लड़की के साथ अपमानजनक व्यवहार
दहेज ना मिलने की स्थिति में शादी तो हो जाती है पर इसके बाद ससुराल पक्ष पुत्रवधू का भिन्न-भिन्न प्रकार से अपमान करते हैं, मारते पीटते हैं, हिंसा करते हैं और कई बार तो उसकी हत्या कर देते हैं।
लड़कियों का मानसिक उत्पीड़न
दहेज ना मिलने पर ससुराल के लोग लड़कियों (पुत्रवधू) का मानसिक उत्पीड़न करते हैं। उससे प्यार से कोई बात नहीं करता। बात बात पर उसे ताने मारे जाते हैं। भला बुरा कहा जाता है।
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लड़का लड़की में भेदभाव करना
दहेज प्रथा के चलते जब किसी परिवार में लड़की पैदा होती है तो घर वाले दहेज को लेकर चिंतित हो जाते हैं। इसलिए वह नहीं चाहते कि उनके घर लड़की पैदा हो। वहीं दूसरी तरफ जब उनके घर लड़का पैदा होता है तो उन्हें खुशी होती है कि लड़के की शादी होने पर उन्हें दहेज में मोटी रकम प्राप्त होगी। समाज में व्याप्त दहेज प्रथा ही लड़का लड़की में भेदभाव का कारण बन रही है।
लड़की के घरवालों की आर्थिक स्थिति खराब होना
भारत में दहेज प्रथा का चलन इतना अधिक हो गया है कि लड़कियों की शादी करने के लिए उसके घर वालों को अपनी जमापूंजी तक खर्च करनी पड़ जाती है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो जाती है। बहुत बार लड़की के घरवालों को दहेज देने के लिए दूसरे लोगों से कर्ज लेना पड़ जाता है।
दहेज प्रथा को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम steps taken by government to prevent dowry system
दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 Dowry Prohibition Act, 1961
इस कानून के अनुसार दहेज लेना और देना अपराध है। इस कानून की आलोचना पिछले कई सालों से होती आ रही है क्योंकि यह पूरी तरह प्रभावी नहीं है और आज भी लोग दहेज लेते और देते हैं। इस कानून के धारा 3 के अनुसार जो लोग दहेज लेने या देने की कोशिश करते हैं उन्हें कम से कम 5 वर्ष का कारावास और 15 हजार रूपये जुर्माना की सजा हो सकती है। शादी के समय लड़की के माता-पिता उसे अपने मन से जो सामान, घरेलू वस्तुयें देना चाहते हैं दे सकते हैं। वह दहेज के दायरे से बाहर रहेगा।
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005 Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005
इस कानून के अनुसार ससुराल में पुत्रवधू से बदसलूकी करना, मारपीट करना, हिंसा, उत्पीड़न, जबरन यौन उत्पीड़न करना, गाली देना, अपमान करना जैसी चीजें शामिल है। यह कानून 26 अक्टूबर 2006 को पारित किया गया था। पीड़ित महिला यदि मजिस्ट्रेट के पास शिकायत करती है तो मामले का निपटारा 60 दिनों के अंदर होता है। इस कानून के अंतर्गत दोषी पाए जाने पर 3 साल की सजा हो सकती है।
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दहेज प्रथा को कैसे रोके how to stop dowry system in india/ solution of dowry system
दहेज प्रथा को रोकने के अनेक उपाय हैं जो इस प्रकार हैं
दहेज ना मांगे और ना दे say no to dowry
दहेज प्रथा को भारत से खत्म करने के लिए देश के हर नागरिक को यह प्रतिज्ञा करनी होगी कि वह ना तो दहेज लेगा और ना ही दहेज देगा। बहुत से लोग जिनके सिर्फ एक ही बेटा होता है वे सोचते हैं कि बाहर से बहु आकर उनके घर मकान पर कब्जा कर लेगी। यह मानसिकता बदलनी होगी क्योंकि इसी मानसिकता के चलते लोग अपने बेटे की शादी में मोटा दहेज मांग लेते हैं।
अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा दिया जाये support inter caste marriage
भारत में दहेज प्रथा फैलने का एक मुख्य कारण समान जातीय विवाह है। उदाहरण के लिए: भारत में यादव जाति का व्यक्ति यादवो में ही अपनी लड़की की शादी करना चाहता है। राजपूत घराना अपनी लड़की का विवाह राजपूतों में ही करना चाहता है। इसी तरह ब्राह्मण अपनी लड़की का विवाह ब्राह्मण परिवार में ही करना चाहता है।
इस तरह जातीय विवाह को बढ़ावा मिलता है। इस जाति बंधन के कारण लड़कियों के मां-बाप उनका विवाह किसी दूसरी जाति में नहीं करते हैं। जब वे अपनी लड़की के विवाह के लिए योग्य लड़के की तलाश अपनी जाति में करते हैं तो लड़कों का अभाव हो जाता है। मजबूरन उन्हें दहेज का लालच देकर अपनी बेटी का विवाह उस लड़के से करना होता है। इस तरह दहेज प्रथा को बढ़ावा मिलता है। इसे दूर करने का एक ही उपाय है कि दूसरी जातियों में भी शादी की जाए। जाति बंधन को खत्म किया जाए।
पुत्रवधू को बेटी समझना
भारत में लोग अपनी बेटियों से तो बहुत प्यार करते हैं, पर पुत्र वधू से गलत व्यवहार करते हैं। वे उसे अपना नहीं मानते। कई बार तो ससुराल के लोग पुत्र वधू को एक नौकरानी की तरह समझते हैं। दिन-रात उससे काम करवाया जाता है। घर की साफ सफाई कपड़े धोना और दूसरे काम करवाए जाते हैं। ना सिर्फ उसका उत्पीड़न किया जाता है, कई बार तो दहेज के लालच में ससुराली पक्ष पुत्र वधू को जलाकर मार देते हैं।
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दहेज प्रथा के खिलाफ सामाजिक जागरुकता फैलाना
भारत में अभी भी लोगों की मानसिकता बहुत पिछड़ी है। ऐसे में देश के जिम्मेदार नागरिकों को टीवी अखबार रेडियो और सीधे जनता से मिलकर लोगों की मानसिकता बदलनी होगी। उन्हें दहेज ना लेने के लिए जागरूक करना होगा।
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