स्तंभेश्वर महादेव मंदिर जो दिन में 2 बार गायब हो जाता है Shree Stambheshwar Mahadev Temple in hindi
बडोदरा (गुजरात) में है यह मंदिर
यह मंदिर गुजरात राज्य के बड़ोदरा शहर से 85 किलोमीटर दूर जंबूसर तहसील के कावी कंबोई गांव में स्थित है। यह मंदिर अरब सागर के बीचोबीच कैम्बे तट पर स्थित है। इस मंदिर का इतिहास बहुत ही रोचक है। शिवभक्तों के बीच यह काफी लोकप्रिय है।
इसलिए गायब होता है मंदिर
सबसे विशेष बात है कि यह मंदिर दिन में दो बार कुछ समय के लिए गायब (जलमग्न) हो जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि 24 घंटे में दो बार ज्वार भाटा आता है इसलिए ज्वार भाटे के कारण ही यह मंदिर कुछ समय के लिए जलमग्न हो जाता है।
श्रद्धालु इस मंदिर में स्थित शिवलिंग के दर्शन तभी कर सकते हैं जब ज्वार कम हो। जिस समय ज्वार आता है उस समय इस मंदिर तक कोई भी नहीं पहुंच सकता है। समुद्र जल से इसका रास्ता भी जलमग्न हो जाता है।
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श्री महापुराण मैं मिलता है मंदिर का उल्लेख
विशेषज्ञों का मानना है कि श्री महापुराण के अध्याय 11 में इस मंदिर का उल्लेख मिलता है।
कार्तिकेय ने बनाया था यह मन्दिर
मान्यता है कि शंकर भगवान के पुत्र कार्तिकेय ने इस मंदिर को बनाया था। लोगों के बीच इस मंदिर का विशेष महत्व है। इस मंदिर के चारों ओर पानी ही पानी है।
150 साल पहले हुई थी खोज
इस मंदिर की खोज आज से 150 साल पहले हुई थी। शुरुआत से ही भक्तों को मंदिर में जाने का समय बताया जाता है। इसके लिए उन्हें पर्चियां दी जाती हैं जिसमें मंदिर में दर्शन करने का समय लिखा होता है।
मंदिर में स्थित शिवलिंग का आकार 4 फुट ऊंचा और 2 फुट चौड़ा है एक मंदिर से अरब सागर का सुंदर दृश्य दिखाई देता है
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स्तंभेश्वर महादेव मंदिर की पौराणिक कहानी stambheshwar mahadev story
यह माना जाता है कि तारकासुर नाम के राक्षस ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की और उनको प्रसन्न किया। उसने वरदान मांगा कि उसे सिर्फ शिव पुत्र ही मार सकेगा जिसकी आयु मात्र 6 दिन होगी। यह वरदान मिलते ही तारकासुर चारों तरफ उत्पात शुरू कर दिया। ऋषि मुनियों और देवताओं को परेशान करने लगा। उनकी साधना पूजा और यज्ञ को भंग करने लगा।
सभी देवतागण भगवान शिव के पास रक्षा के लिए गए। तब शिव पुत्र कार्तिकेय का जन्म श्वेत पर्वत के कुंड से हुआ था। उनके 12 हाथ, 4 आंखें और 6 मस्तिष्क थे। केवल 6 दिनों में ही उन्होंने तारकासुर का वध कर दिया। बाद में उन्हें पता चला कि तारकासुर एक शिव भक्त था। इसलिए जिस स्थान पर कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया था, उसी स्थान पर उन्होंने यह शिवालय बना दिया। सभी देवताओं ने मिलकर इस स्थान पर विश्व नंदक स्तंभ की स्थापना की। इसी कारण इस मंदिर को स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर कैसे जायें how to reach stambheshwar mahadev
- हवाई जहाज द्वारा
बड़ोदरा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट सबसे निकटतम एयरपोर्ट है। यहां से कवि कंबोई 82 किलोमीटर है।
- रेल मार्ग द्वारा
वडोदरा रेलवे स्टेशन सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है। यहां से कवि कंबोई 74 किलोमीटर है।
- सड़क मार्ग द्वारा
कवि कंबोई देश के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। इसके अलावा आपका टैक्सी, कार जैसे प्राइवेट वाहन की मदद से इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
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स्तंभेश्वर महादेव मंदिर का पता Shree Stambheshwar Mahadev Temple Adress
Shree Stambheshwar Mahadev Temple, Kavi Kamboi
Jambusar, Gujarat 392180
Shree Stambheshwar Mahadev website
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